सुहानी शाम
शाम ढली पुरवाई छाई,
मौसम ने जैसे ली अंगड़ाई,
देख लालिमा को ढलते
चिड़ियां भी चेहचहाई,
देखकर ये समा फूलों ने
भंवरो से कहा मुझे नींद आई,
तितलियां भी उड़ घर को चली,
बादलों में काली घटा छाई,
तब लगा सांझ हो आई,
ठंडी ठंडी हवा ये बोली,
सितारों के साथ चांद को में ले आई,
उजियारी सी रात सुहानी
कितने सपनों कि बारात लाई।।
मौसम ने जैसे ली अंगड़ाई,
देख लालिमा को ढलते
चिड़ियां भी चेहचहाई,
देखकर ये समा फूलों ने
भंवरो से कहा मुझे नींद आई,
तितलियां भी उड़ घर को चली,
बादलों में काली घटा छाई,
तब लगा सांझ हो आई,
ठंडी ठंडी हवा ये बोली,
सितारों के साथ चांद को में ले आई,
उजियारी सी रात सुहानी
कितने सपनों कि बारात लाई।।