...

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अनमोल स्पर्श


जीवन की पगडंडियों में साथ चलने का वादा,
हमकदम बन सपने पूरे करने का है यूँ इरादा।

साथ उम्र भर निभानी है अब तो ऐ हमदम,
मौन‌ से मोहब्बत का हक़ हमें करना है अदा।

यह अनमोल स्पर्श से हो गई हूँ में स्पर्शिता,
संग तेरे हर क्षण हमें बना देती जगतजीता।

स्पंदन हृदय की तेरी मैं महसूस करती हूँ,
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का बन जाए मेरी संहिता।

जैसे प्राण संग खेल करे धड़कन की कविता,
मेरी हथेली से पूर्नांग तक बह जाओ बन सरिता।

#lopathewriter
© LopaTheWriter