...

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यादें
एक बक्सा मिला था आज,
पुराना सा था पर था बोहोत खास,

रूह से कम जंग था ताले पर,
समय न गवाकर खोदने लगी यादों की कबर,

बेरंग सी तस्वीर थी मेरी बचपन की,
अब रंग तो है पर बचपना नही,

वो टूटी गाड़ी दिखी मुझे - आंखें बंद करी तो,
निकल पड़ी यादों के रास्तों में,

हवा के झोके ने ले आया वापस,
तभी दिखा फरफरती हुई एक खत,

साल झेलते झेलते अक्सर मिट गए थे,
इतना समझी थी की था वो एक प्रेम पत्र,
बेहद प्यार से लिखी थी में किसी के लिए,

खैर - अब न समय है न जस्बात,
बचपन था न -तो बचपना ही समाज लो,

यादें अच्छी होती है,
लेकिन कुछ यादें इसी भी !

© tuli