...

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मृत्यु का समान
मृत्यु का अपमान कर
क्या जिंदगी कोई पाएगा
खो के स्व अस्तित्व बोलो
हाथ क्या आ पाएगा
एक तरफ बैठे है सारे
बेच कर वह आत्मा
मैं बचा लाया उसे तो
कहते हैं अवसाद था
कौन है अवसाद में यह
प्रश्न खुद से पूछिए
रेंगते रहने को अब तो
जिंदगी न बुझिए
जिंदगी तो उत्सवों का
दौड़ है प्यारा बड़ा
क्या करें पर आत्मा का
नाद था सुनना पड़ा
छोर आया देह पर
गिरवी नहीं है आत्मा
कौन कायर है इसे
खुद से हीं पुछो तो भला
© eternal voice नाद ब्रह्म