नज़्म✍️
कितने ख़्वाब, कितने लोग
इस दुनिया में जाने कितनी शक्लें
और इस भीड़ में तुम
मुझे ऐसे मिली
जैसे किसी अधूरे ख़्वाब को मायने मिल गए
मेरी शायरी के हर हर्फ
एक तुम्हारे ही जिस्म से लिपटे हुए
जैसे किसी अर्स को टूटे तारे मिल गए
मेरी मशरूफियत तुमसे हैं
मेरे ख्वाब तुमसे हैं
मेरी ज़िंदगी की तमाम रातें तुमसे हैं
मेरे हर सुकून का सिलसिला तुमसे हैं
कोई खालिस घेरे है मुझे
कोई कशिश तुमसे जोड़े है मुझे
तेरी नर्गिश मेरे हयात को मायने देती...
इस दुनिया में जाने कितनी शक्लें
और इस भीड़ में तुम
मुझे ऐसे मिली
जैसे किसी अधूरे ख़्वाब को मायने मिल गए
मेरी शायरी के हर हर्फ
एक तुम्हारे ही जिस्म से लिपटे हुए
जैसे किसी अर्स को टूटे तारे मिल गए
मेरी मशरूफियत तुमसे हैं
मेरे ख्वाब तुमसे हैं
मेरी ज़िंदगी की तमाम रातें तुमसे हैं
मेरे हर सुकून का सिलसिला तुमसे हैं
कोई खालिस घेरे है मुझे
कोई कशिश तुमसे जोड़े है मुझे
तेरी नर्गिश मेरे हयात को मायने देती...