...

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ज़माने की राह
तुम जमाने की राह से आए थे
तुम जमाने की राह से जाओगे
तुम क्या सोचते हो कि इसके
भौकाल से बच पाओगे बिल्कुल
नहीं तुम को उठाना पड़ेगा वेदनाओं
का पहाड़ और उतरना होगा जंजाल
की घाटियां तभी बन पाओगे अपने
आशियाने का ताना-बाना तुम जानते
हो साथ कुछ नहीं लाए थे फिर किस
कारण खुद को कुंद किए फिरते हो
उठो ज़माने से गुहार नहीं उसे अपने
रूतबे से डराओ सुनो ज़माना कई रंग
दिखाता है पर तुम युगों तक जाओ।
© varsha's ink