...

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सुकून के पल
बहुत दूर निकल आई हो
पिछे मुडकर देखा तो
सुकून मिलता कहा देखी
आगे बढ़ी तो देखी गोर से
कि सुकुन कहीं बिक रहा हैं किया
समझी नहीं बेकुफ कि तरह
हर जगह मौजूद हो परवाह कि
सबकी,
हमेशा कहीं हों मैं
पर झूठ...