...

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प्यार पे किसका हक होता है
मै रेत की तरह, बिखरने लगी
शुक्र तेरा अदा किये बिना ही जीने लगी

एक तेरी ही तलब थी जिंदगी मे
वो भी धीरे धीरे ख़त्म होने लगी

बस एक उम्मीद थी जिंदगी से
की जिसे हम चाहे, वो किसी और को ना चाहे

प्यार पे किसका हक होता है
अक्सर जिस इंसान से इश्क़ होता है
वो किसी और का शक्स होता है

बीते दिनों की ख्वाइस, अब बस एक मजाक सी लगती है
चाहा था किसी को बहुत, अब ये बात बस एक मजाक लगती है