मेरी बात
जो लिख रहा हूँ बात में ,मेरे कल्ब़ से कलम की ही,
जो फना हो जाए जिस्म सी ,
यह बात कुछ अलग सी ही,
जो हाथ से फिसल जाए ऐ रेत समन्दर...
जो फना हो जाए जिस्म सी ,
यह बात कुछ अलग सी ही,
जो हाथ से फिसल जाए ऐ रेत समन्दर...