...

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शुरुआत कर दूं जहां से ...
आईने ने आज मुझसे एक सवाल किया,
न सूरज पश्चिम से निकला न
पंछी ने अपना पथ बदला,
एक वक्त गुजरा है एक वक्त फिर मिला।
ये करना है वो करना है,
अपनी बातों से मुझको नहीं मुकरना है,
ऐसा संकल्प हर साल लिया।
कुछ खामियां जिन्हें मिटाने की कोशिश की थी,
आदत में आज भी शामिल थी।
मंजिलों तक जाने के सपने बुनते...