गीत
देख अहिंसक को हिंसक बन,मानवता शरमाती है
हे प्रभु इस धरती पर नर को,दानवता क्यों भाती है ।
मानव के कर्मों से प्रचंड,विनाश सर पर आया है
मानव ही मानव का दुश्मन,मति पर घमंड छाया है
दौलत को ही समझ कसौटी,मनुजता डगमगाती है
हे प्रभु इस...
हे प्रभु इस धरती पर नर को,दानवता क्यों भाती है ।
मानव के कर्मों से प्रचंड,विनाश सर पर आया है
मानव ही मानव का दुश्मन,मति पर घमंड छाया है
दौलत को ही समझ कसौटी,मनुजता डगमगाती है
हे प्रभु इस...