अपनी चमक से बनी हूं
बहुत बार गिरी और गिर कर उठी हूं
हां मैं अपनी चमक से बनी हूं
लाख सताए है मुझे अंधेरों के साए
हर अंधेरे में उम्मीद की रोशनी से चली हूं
हाथों में अपने हाथों को थामे उम्मीद से दुनिया के रण...
हां मैं अपनी चमक से बनी हूं
लाख सताए है मुझे अंधेरों के साए
हर अंधेरे में उम्मीद की रोशनी से चली हूं
हाथों में अपने हाथों को थामे उम्मीद से दुनिया के रण...