...

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खुशी
क्या है तू खुशी ?
कहा मिलती हैं तू ?
क्या करना होता हैं ?
तुझे पाना हैं तो
ढूंढा तुझे मैने हर कहीं
हर कोने में ढूंढा तुझे
इस दुनिया के ।
लोग कहते हैं
की तू हर इंसान के
अंदर ही होती हैं
जो खोजना जानते हैं
बस उसीको मिलती हैं तू
जो तुझसे प्यार करती हैं
बस वहीं तेरा प्यार पा लेता है ।
पर मुझे क्यूं नहीं मिली तू
कितने ही दिन गए
कितने रात बीते
पर तू न मिली मुझे ।
होंगी क्या तू ?
उस पहाड़ के उस पार
या नदियों के पार
या फिर हैं तू बस उन
खुश लोगों के अंदर ही ।
मिलेगी क्या तू मुझे,
इस दुनिया के उस पार ?
मिलेगी क्या तू,
जब मैं सब छोड़ दूं ?
बस तुझे देखूं तुझे ढूंढू
ए खुशी, मिल जा कहीं भी
नहीं रहा जाता
नहीं जिया जाता
ये दर्दनाक जिंदगी
तेरी नामौजूदगी में ।

© Divya