...

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अजनबी
ख़ामोश निगाहें छुपाती है
दिल से निकलती हुई आहें,
बातों को छिपाने में
अब अजनबी ये निगाहें हुई,
गुज़रे पल याद आते है
फिर भी है लब ख़ामोश,
ख़ामोश लबों से जुंझती
अजनबी वो यादें हुई,
अजनबी से बातें कर लो
वो अजनबी नहीं रहता,
बातें ना करने के बहाने से
अजनबी ये यारी हुई।
© Gunjan