...

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संवर जाउँ
सूनी पड़ी दिल की गलियारा
ख़ामोश हुई बतिया
समेटे रखे है अरमान आँखों के
तू आए तो बाहों में बिखर जाउँ

धुँधला गया चेहरे का नूर
होंठो पे खिलती ना कलिया
देख लूँ एक बार जो सूरत तेरी
तो बिन शिंगार के भी सवँर जाउँ

तकती है राहों को बैचेन आँखे
सोने ना देती सर्द रतिया
आस मिलन की जिंदा 'प्रीत'
चाहत में तेरी मैं इतर जाऊँ
© speechless words