...

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क्यों दिखाई थी तुम अपनी दुनिया, संसार की तरह
क्यों दिखाई थी तुम
अपनी दुनिया, संसार की तरह
जब नहीं करना था तुम्हें
प्यार, प्यार की तरह

हम खो गए थे तुझमें
जैसे कोई खोई अंधकार की तरह
नजर तक नहीं आती हमें अपनी दुनिया
डूब गए हैं हम ऐसे पानी में एक पतवार की तरह

कहां है क्या कर रहे है कुछ खबर नहीं
मर गए हम किसान कि मार के तरह
संभालो दुनिया वालों
हम खुद हार गए हैं वृक्ष के टूटे डाल की तरह

खो गई है...