...

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फिक्र
फ़िक्र उसकी करो जो क़रीब है,
दूर की चीज़ों का ज़िक्र भुलाना होगा !
कल को ख़ुदा पर छोड़ कर,
तुझे तेरे आज को बनाना होगा !!
काँटें तो तय हैं ही सफ़र में
उन्हें फूलों की तरह सजाना होगा,
चेहरे पर एक लेकर मुस्कान
ग़मों से रिश्ता मिटाना होगा !
कल को ख़ुदा पर छोड़ कर;
तुझे तेरे आज को बनाना होगा !!
तेरी ख़ामोशियों को मिटा कर
तुझे तेरे शोर को बढ़ाना होगा,
शब्दों की क़ायनात का हुनर
अब दुनिया को दिखाना होगा !
कल को ख़ुदा पर छोड़ कर;
तुझे तेरे आज को बनाना होगा !!...