...

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तुम्हारे इंतज़ार में
चलता गया मैं मुसाफ़िर मंज़िल की पुकार में
यूँही कट गया कहीं सफ़र तुम्हारे इंतज़ार में

भटकता रहा मैं यहाँ हमसफ़र की तलाश में
जैसे तड़प रहा मैं यहाँ मोहब्बत की बुखार में

ढूँढा तुझें उस गली-गली और बीच चौबारे में
यूँही गुज़रा वक़्त मेरा तेरे इश्क़ की बीमार में

तड़पा था दिल मेरा एक नज़र मुलाक़ात को
मिला नहीं फिर भी दिल धड़का तेरे प्यार में

निकल पड़ा इश्क़ की कश्ती बड़े ही शान से
पतवार नहीं और बह गया दरिया की धार में

© Raj
#shreerajmenon