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tasveer
तस्वीर और गुस्से की रुसवाई
तस्वीर एक दिन के लिए, जादूगर बना था,
उसमे प्रकाश और इश्क के सारे रंग अंगूर थे।

तस्वीर एक दिन के लिए बिंदियां जितनी मासूम थी,
तस्वीर में वो सारे नूर और कंगन दिव्या पालकी जैसे थे।


बरसों से तस्वीर दुख और खामोशी में सालों और बरसों गुजारता था, वो तसवीर से, एक नीला जहाज़ था।

वे दिखने मैं सरल, पुराने जमाने की काली सफेद तसवीर थी और वे सिर्फ एक दिन के लिए दिवाली की लड़ियों जैसा गुनगुनाया और चमकने लगा।


तसवीर के वर्षों के दुखो ने उसके अंदर से लाखों गुस्सा पैदा किया, उसके अंदर से एक गुस्से का बाप राजा बाहर आया और तसवीर पर गुस्सा करने लगे।


तसवीर बेहद सुंदर और साफ सुथरी थी, वे जादूगरी तसवीर और बेहद खुश थी।
गुस्से ने उससे कहां, मुझे खुशी की आवश्यकता हैं, मैं गुस्से में बात नही करना चाहता, मुझे तुम अपनी जादूगरी देदो, ये मेरी आज्ञा हैं।

तसवीर मुस्कुराते हुए बोला,
मैं जादूगर, वरदान से हूं, एक दिन के लिए मगर मेरे हाथ में जादू करना नहीं, मुझ में जादूगर की खूबियां हैं मगर मै उन्हें इस्तेमाल करने और किसी से साझा करने के लिए श्रापित हूं।

गुस्से ने कहा: मैं वर्षों से गुस्से से श्रापित हूं, और मै तुम्हारा गुस्सा हूं, तुमसे प्रभावित होके बना हूं। तुम्हे समाधान करना ही होगा।

तसवीर बोला: मैं आज जीवन में पहली बार खुशी का अनुभव कर रहा हूं, मै इस खुशी को भंग नहीं करना चाहता, इसीलिए मै जिससे श्रापित हूं, उसके खिलाफ नहीं जाऊंगा।

गुस्से की रुसवाई तसवीर से बढ़ती गई,
रुसवाई के कारण गुस्सा नाराज होने लगा,
मगर तसवीर को खुश होने का वरदान था,
इसीलिए गुस्सा गुस्सा हुआ, नाराज भी,
पर तसवीर सुंदरता और प्रसन्नता से महकती रही,
क्योंकि भाग्य में जो लिखा होता है, वही होता है।