...

8 views

थक चुका हूं
थक चुका हूं मैं और हार भी चुका हूं मैं , अपनों के सितम से घायल हुआ हूं मै । फिर भी सीने में एक आग सी जल रही हैं अभी , दुनिया की बनाई हुई इन बेड़ियों में आज भी जकड़ा हुआ हूं मैं । कुछ नया करने की इच्छा सी जगी है मन में , कि इन सोई हुई तकदीरों को फिर से जगाना है आज ।कुछ तो नया कर के जाना है आज , कि पीछे से भी लोग हमारी मिसालें दिया करेंगे । कि अपने लिए ना सही पर गैरों के काम तो किया करेंगे ।