...

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छोड़ देता हूँ...
मैं हरगिज़ कोई शायर नहीं मग़र
बस काफिये रदीफ़ जोड़ देता हूँ..

मग़र ये ज़रूर है लिखने से पहले
अपने जेहन को, झिंझोड देता हूँ..

जो मन में आए उन्हीं ख़यालों से
काग़ज़ पर स्याही निचोड़ देता हूँ..

आपके दिल को छुए, कुछ ऐसा हो
सो मैं, हिंदी उर्दू के गठजोड़ देता हूँ..

कोशिश है कि बात दिल तक पहुंचे
बात को, दिल की ओर मोड़ देता हूँ..

मुमकिन है, ज़माना मेरे जैसा सोचे
तो ज़माने से, ख़ुद को जोड़ देता हूँ..

फ़िर पसंद होती है, अपनी अपनी
मै तो सुनने वालों पर छोड़ देता हूँ....
© Naveen Saraswat