छोड़ देता हूँ...
मैं हरगिज़ कोई शायर नहीं मग़र
बस काफिये रदीफ़ जोड़ देता हूँ..
मग़र ये ज़रूर है लिखने से पहले
अपने जेहन को, झिंझोड देता हूँ..
जो मन में आए उन्हीं ख़यालों से
काग़ज़ पर स्याही निचोड़...
बस काफिये रदीफ़ जोड़ देता हूँ..
मग़र ये ज़रूर है लिखने से पहले
अपने जेहन को, झिंझोड देता हूँ..
जो मन में आए उन्हीं ख़यालों से
काग़ज़ पर स्याही निचोड़...