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मुस्कुराने दो
#Abhishek maurya
शीतल जल के समान है ये
थोड़ा इसे बहजाने तो दो
मत खींचो इसे संसारी कुचक्र में
अभी तो जन्मा है इसे मुस्कुराने तो दो
अलग ही फितूर है ज़मा के मुस्कुराने में
तनिक देर नहीं करते किसी का दिल दुखाने में
न जाने कैसी चूक हो गई समय चक्र चलाने में
दानव टूट पड़े हैं खुशियों में दरख़्त बनाने में
अनजान पवित्र शिशु सब हमी से सीखते हैं
चलते वह उसी पथ पे जो रेखा हम खींचते है
जो हम हर रोज झूठ की गठरी बेचते हैं
वो मासूम उसे भी सच समझ कर देखते हैं
रोको खुद को उन्हें भी जोर अजमाने तो दो
प्रयास कोमल है बगिया में फूल लगाने तो दो
उन्हें भी मौका दे आतंकी लंका जलाने तो दो
अभी तो जन्मा है यह इसे मुस्कुराने तो दो
© Abhishek maurya
शीतल जल के समान है ये
थोड़ा इसे बहजाने तो दो
मत खींचो इसे संसारी कुचक्र में
अभी तो जन्मा है इसे मुस्कुराने तो दो
अलग ही फितूर है ज़मा के मुस्कुराने में
तनिक देर नहीं करते किसी का दिल दुखाने में
न जाने कैसी चूक हो गई समय चक्र चलाने में
दानव टूट पड़े हैं खुशियों में दरख़्त बनाने में
अनजान पवित्र शिशु सब हमी से सीखते हैं
चलते वह उसी पथ पे जो रेखा हम खींचते है
जो हम हर रोज झूठ की गठरी बेचते हैं
वो मासूम उसे भी सच समझ कर देखते हैं
रोको खुद को उन्हें भी जोर अजमाने तो दो
प्रयास कोमल है बगिया में फूल लगाने तो दो
उन्हें भी मौका दे आतंकी लंका जलाने तो दो
अभी तो जन्मा है यह इसे मुस्कुराने तो दो
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