आदमी
आदमी कमा कर अनीति से अपना उतारा चाहता है
अपनी इर्ष्या से ही सारे जग को मारा चाहता है
अपने लिए अमृत व और के लिए दुधारा चाहता है
वो अजीब है डूबती किस्ती में किनारा चाहता है
अपनी इर्ष्या से ही सारे जग को मारा चाहता है
अपने लिए अमृत व और के लिए दुधारा चाहता है
वो अजीब है डूबती किस्ती में किनारा चाहता है