चाँद का साथ पाकर
ज़ख़्म मेरे अभी किसी-किसी को दिखाई दिए है,
शरारा हूँ आग का शोर कुछ-कुछ को सुनाई दिए है,
रहा हूँ बरस आँखों से कतरा-कतरा दहक,
रहा हूँ क़लमा...
शरारा हूँ आग का शोर कुछ-कुछ को सुनाई दिए है,
रहा हूँ बरस आँखों से कतरा-कतरा दहक,
रहा हूँ क़लमा...