बढ़ते ही रहना
#अपराध
"मन मौन व्रत कर आज भी अपराध करता है,
किस भांति देखो वह यहां आघात करता है ।
हर व्यंग्य पर गंभीरता का प्रहार करता है,
खुशियों...
"मन मौन व्रत कर आज भी अपराध करता है,
किस भांति देखो वह यहां आघात करता है ।
हर व्यंग्य पर गंभीरता का प्रहार करता है,
खुशियों...