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भगत सिंह की इतिहास
दिनांक २७ सितंबर सन १९०७ को उस लड़के का जन्म हुआ;
जो आगे चलकर भगत सिंह के नाम से पूरे हिंदुस्तान में प्रचलित हुआ;
पंजाब के एक छोटे से शहर का बच्चा;
पूरे वतन में अपना छाप छोर गया;
बचपन से ही देश की आज़ादी चाहने वाला;
अपनी जवानी में ही सबको अलविदा कह गया;

आज़ादी के लिए इंकलाब ज़िंदाबाद का नारा लगाया;
अहिंसा का रास्ते से हटकर खुद की लड़ाई लड़ा;
वो कहता था जुल्म को बर्दास्त नहीं,उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाया जाता है;
आज़ादी कोई भीक़ नहीं जो मांगी जाए,आज़ादी छिनी जाती है;
अपनी साथियों के साथ मिलकर "HSRA" नामक एक नई पार्टी का गठन किया;
और पंडितजी के दिशा पे चलकर उसे पूरे हिन्दुस्तान में फैला दिया;

दिल्ली के वायसरॉय कैबिनेट सभा में बॉम्ब फेंक कर अपना बहादुरी दिखाया;
और खुद ही अंग्रेज़ो को आत्मसमर्पण कर अपना नेंक ईरादा जताया;
उसे नाही किसीको डराना और नाही किसिकी जॉन नहीं लेनी थी;
बस अंग्रेज़ो को अपनी साहस और ताकत दिखानी थी;
जेल जाकर भी अपनी आज़ादी की लड़ाई लड़ता चला गया;
हजारों अत्याचार और जुल्म सहकर भी कभी हार नहीं माना;
अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए ६२ दिन की भूख हरताल भी किया;
जिसको देख अंग्रेज़ हार कर अपने घुटनों के बल गिर गया;
आखिर में जीत उसी की हुई;
पर ये खुशी भी चंद छनों की थी;
क्यूंकि उसकी सोंच में कुछ और ही चल रही थी;
पर उसका कल कुछ और ही कह रही थी;
उसी के एक साथी ने जब गद्दारी को;
तो अंग्रेज़ो ने उसे फांसी की सज़ा सुना दी;
पर इसे सुनकर नाही वो घबराया और नाही रोया;
एक सच्चे और निडर देशभक्त जैसा हस्ते-हस्ते अपने मौत को गले लगा लिया;

पर सवाल है कि क्या भगत सिंह की कुर्बानी व्यर्थ हो गई?
क्युकी जिस आज़ाद भारत का सपना उसने देखा था वो आज भी पूरा नहीं हुई;
उसके लिए आज़ादी का मतलब सिर्फ अंग्रेज़ो को भगाना नहीं था;
बल्कि एक देश जहा हर इंसान बराबरी से जिए,उसको बनाना था;
हमे उम्मीद है कि हम भगत सिंह की बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे;
और उसके सपनों को पूरा कर एक नए भारत का निर्माण करेंगे!

जय हिन्द!!!








© anirban