मेरा हश्र..
इश्क की राह में मैं अनजान था,
मालूम नहीं कैसे कोई खींच रहा मेरा ध्यान था।
ख्वाबों से सजाए बैग ले चल पड़ा,
छूट गया वो बस्ता मेरा,
जिसमें रिश्तों से भरा सामान था।।
कैसे से कैसा हो गया,
कैसा मेरा खानपान था ।
निकल पड़ते हैं आंसू सोचकर,
क्योंकि हर कोई...
मालूम नहीं कैसे कोई खींच रहा मेरा ध्यान था।
ख्वाबों से सजाए बैग ले चल पड़ा,
छूट गया वो बस्ता मेरा,
जिसमें रिश्तों से भरा सामान था।।
कैसे से कैसा हो गया,
कैसा मेरा खानपान था ।
निकल पड़ते हैं आंसू सोचकर,
क्योंकि हर कोई...