...

25 views

अपना नाम...
रिश्ते नातो के भंवर में
अलग-अलग संबोधन मिलता जाता है
जितने रिश्ते उतना नाम
एक समय ऐसा आता है
जब हमारा ही नाम
हमारे कानों को भूल जाता है
और तब अपने नाम से बुलाया जाना
बड़ा अच्छा लगता है
बड़ा अच्छा लगता है
© Madhumita Mani Tripathi