...

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तेरी कोख में मर जाना अच्छा था
आज एक परी आएगी घर आपके
ऐसा डॉक्टर कह गए
सुनकर यह खबर पिताजी
दंग रह गए

पिताजी के चेहरे पे सुकून या खुशी नही थी
पिताजी दुखी थे
हां पर मां दुखी नहीं थी

पिताजी सोच रहे थे, इस समाज में बेटी को रखा कैसे जाए
और अपनी ही पत्नी से मार देने को कहा कैसे जाए

बहुत हिम्मत कर के
पिताजी ने ये फैसला लिया
नही आएगी बेटी
जा के मां से कह दिया

सुन कर यह बात
मां से रहा नही गया
और पूछा मेरे पिता से
तुमसे यह कहा कैसे गया

तुम्हारा गुस्सा लाज़मी है
पर बात यह भी सच है
गलत करेगा जमाना
ओर कहेगा बेटी ही गलत है

खैर अब बेटी आ चुकी है
हम सब साथ बैठते साथ खाते है
मेरे मां पापा मुझे प्यार से रानी बुलाते हैं

आज पापा ने घर पर मिठाई मंगवाई हे
और घर पे सब खुशहाल हे
क्युकी आज मेरे स्कूल का
पहला साल है

देखते ही देखते कई साल बीत चुके थे
हम लोग अब खुशी से रहना सीख चुके थे

मेरे स्कूल खत्म हो चुके थे,
अब मैं कॉलेज जा रही थी
मेरी मां बहुत प्यार से मुझे,
दुनिया दारी समझा रही थी

अब तक सब अच्छा चल रहा था
पर पहाड़ टूट पड़ा दुख का
हां मैं भी शिकार हो गई,
दरिंदो के भूख का

वह लोग चार थे
और मुझे थोड़ा थोड़ा बांट लिया था
बयान ना कर पाऊं दर्द
इसीलिए जुबान मेरा काट लिया था

मेरी मां घर पर रो रही थी
क्युकी उनकी बेटी सांसें खो रही थी

सांसें थम रही थी
पर जख्म अब भी सता रहे थे
और धड़कन शांत होने से पहले
बस इतना समझा रहे थे

की पिताजी का कहना कितना सच्चा था
मां तेरी कोख में ही मर जाना अच्छा था

© AS