...

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डोर
सब्र की डोर मेरी कच्ची नहीँ
मेरे विश्वास की डोर बहुत पक्की है

माना वक़्त वक़्त पे इम्तहान जारी है
उसमें 100% पास होने की जिम्मेदारी हमारी है

बीच बीच मे थोड़ा डगमगा जाते है हम
फिर सम्हल कर थोड़ा खुद को...