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एक फरेब: प्यार के शक्ल में
हाथों में गुलाब देख उसे आशिक समझ बैठे
होठों से अपना नाम सुन ग़ालिब समझ बैठे!
उनके लफ़्ज़ों पे न जाने क्यों अपना दिल गवां बैठे
फकत एक वफ़ा के नाम पे अपना सब लुटा बैठे!!
अब होता नहीं मोहब्बत दुनिया की रंगीनियों से
समझा जिसे अपना कभी जब गैरो संग जा बैठे!
ना खामियां दिखी ना हक़ जमाया आजाद रखा
मजबूरियों का नाम लेके वो इल्जाम लगा बैठे!
उनकी खुशी पे मैं भी खुश होता हूं पर जान लो
उनकी एक मुस्कान पे अपनी मुस्कान गवां बैठे!!
आखिरी उम्मीद सहारा न जाने क्या क्या कहा
फकत इसी बात पे हम अपना सिर झुका बैठे !!
© Danish ppt
होठों से अपना नाम सुन ग़ालिब समझ बैठे!
उनके लफ़्ज़ों पे न जाने क्यों अपना दिल गवां बैठे
फकत एक वफ़ा के नाम पे अपना सब लुटा बैठे!!
अब होता नहीं मोहब्बत दुनिया की रंगीनियों से
समझा जिसे अपना कभी जब गैरो संग जा बैठे!
ना खामियां दिखी ना हक़ जमाया आजाद रखा
मजबूरियों का नाम लेके वो इल्जाम लगा बैठे!
उनकी खुशी पे मैं भी खुश होता हूं पर जान लो
उनकी एक मुस्कान पे अपनी मुस्कान गवां बैठे!!
आखिरी उम्मीद सहारा न जाने क्या क्या कहा
फकत इसी बात पे हम अपना सिर झुका बैठे !!
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