चिंतन
मैंने पत्ते को झड़ते देखा शाख से,
आवाज़ बड़ी कर्कश सी थी,
पर हाँ अकेलेपन की कहानी थी उसमें,
कुछ मुझ जैसा ही जुड़ा हुआ टूटा हुआ,
सुकून भी हो रहा था महसूस थोड़ा,
मुझे मुझ जैसा कोई मिला तो सही,
बड़ा स्वार्थ भरा...
आवाज़ बड़ी कर्कश सी थी,
पर हाँ अकेलेपन की कहानी थी उसमें,
कुछ मुझ जैसा ही जुड़ा हुआ टूटा हुआ,
सुकून भी हो रहा था महसूस थोड़ा,
मुझे मुझ जैसा कोई मिला तो सही,
बड़ा स्वार्थ भरा...