कारीगर
आश्चर्य है कितनी बाखूबी जोड़ लेते है लोग अपना नाम लफ्ज़ो से जैसेअह्सास और दास्तान ए कलम कभी अलग थी ही नही
हो चाहे फिर गालिब या फराज़
लगता है...
हो चाहे फिर गालिब या फराज़
लगता है...