...

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“गुज़र गए वो लम्हे”
गुज़र गए वो लम्हे
जब करते थे हम राज
तुम्हारे दिल पे

यूँ छोड़ गया तू हमें
बीच ज़िंदगी की मँझधार
बेचैन हूँ और विकल है मन मेरा
आँखों के आगे छाया है अंधेरा
कभी हुआ करती थी
तेरी आँख का तारा मैं

दोष दूँ किसे
तुझे या फिर मुझे
हालात को या
फिर कोसूँ ख़ुद को मैं

गुज़र गए वो लम्हे
जब तुम कहते थे
मुझ को अपनी जान
बसते थे तुम्हारे दिल में।
#ramphalkataria

© Ramphal Kataria