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चालीस साल पहले...
प्रेम की सबसे
खूबसूरत बात ये है कि
प्रेम चाहे चार दिन पहले बिछड़ा हो या
चालीस साल पहले
स्मृतियां सदैव ताजी रहती हैं
डायरियों में सूखे गुलाब
अपनी रंगत खो देते हैं
मगर उनकी खुशबू जरा भी
मद्धम नही पड़ती
ना ही भूलती है उनकी मुस्कान
ना भूल पाता है मन
उनका मिलना हंसना
खुलना जरा सा फिर सिमटना
जिंदगी के झंझावतों में भी
जाने कैसे ये कोमल अहसास
रह जातें है
यादों की संदूक में
© Poeत्रीباز
खूबसूरत बात ये है कि
प्रेम चाहे चार दिन पहले बिछड़ा हो या
चालीस साल पहले
स्मृतियां सदैव ताजी रहती हैं
डायरियों में सूखे गुलाब
अपनी रंगत खो देते हैं
मगर उनकी खुशबू जरा भी
मद्धम नही पड़ती
ना ही भूलती है उनकी मुस्कान
ना भूल पाता है मन
उनका मिलना हंसना
खुलना जरा सा फिर सिमटना
जिंदगी के झंझावतों में भी
जाने कैसे ये कोमल अहसास
रह जातें है
यादों की संदूक में
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