ये मुमकिन नहीं...
तुम्हारे दीदार के लिए सुबह-ओ-शाम, रात-दिन, आठों पहर तड़पते हैं,
ख्वाहिशें भी तुम्हारी आँखों के दरिया में डूबने की रखते हैं, मग़र
तुमसे नज़रे मिला लें, ये मुमकिन नहीं...
तुम्हारे सामने बैठकर, तुमसे घण्टों बातें करना चाहते हैं
तुम्हारे उन हाथों को अपने सीने पर रखकर ये भी कहना चाहते हैं, कि देख ना यार
देख ना ये दिल सिर्फ तेरे लिए ही धड़कता है
पर, कैसे करेंगे ये सब क्यूँकी
तुम कहो तो फ़लक तक को हम ज़मी पर उतार दें तुम्हारे लिए, मग़र
तुमसे नज़रें मिला लें, ये मुमकिन नहीं......
ख्वाहिशें भी तुम्हारी आँखों के दरिया में डूबने की रखते हैं, मग़र
तुमसे नज़रे मिला लें, ये मुमकिन नहीं...
तुम्हारे सामने बैठकर, तुमसे घण्टों बातें करना चाहते हैं
तुम्हारे उन हाथों को अपने सीने पर रखकर ये भी कहना चाहते हैं, कि देख ना यार
देख ना ये दिल सिर्फ तेरे लिए ही धड़कता है
पर, कैसे करेंगे ये सब क्यूँकी
तुम कहो तो फ़लक तक को हम ज़मी पर उतार दें तुम्हारे लिए, मग़र
तुमसे नज़रें मिला लें, ये मुमकिन नहीं......