...

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इश्क़ है या इन्त़ेकाम है ये
ये समय कितना भी बुरा क्यूँ न हो,
उस समय से अच्छा है जब मैं तुम्हारे लिए रोई,,
ये हंसी कितनी भी झूठी क्यूँ न हो,
उस हंसी से सच्ची है जिसके साथ
न जाने मैं कितने दिन तक सोई,
ये ख्याल कितने भी अटपटे क्यूँ ना हो ,
उन बेबुनियाद ख्यालों से तो अच्छे हैं
जिनमें न जाने मैं कितने रातों तक थी खोई,
पर है अब कहानी थोड़ी बदल गई,
समा नया ये इन्तज़ार का मकान नया है।
मेरे इश्क़ का ये एक जहाँ नया है।
जरूर मैं कुछ पल को टूट गई,
पर समेटे अपने हर टूटे टुकड़े,
ये कांच की यादों से बना ,
इश्क़ का इंतकाम नया है।
अब होगी एक नई शुरुआत,,
बदले का ये शाम नया है।
लौटूंगी फिर उसी दुनिया में,
ख्वाबों का अबकि अरमान नया है।
अब कमजोरी नहीं ये ताक़त का अंजाम नया है।
थोड़ा सम्भल के रहना अब हर एक कदम पे तुम, ,
ये टूटे दिल के फिर से जुड़ने का,
खुशियों के वापस खिलने का,
और तुम्हारी तबाही का पैगाम नया है।
जिन चूड़ियों ने कल तक सम्भाला तुमको
उनकी हर एक टुकड़े की यही आस होगी।
अब एक बार नहीं
एक बार में हज़ारो बार टूटेगा ये दिल,
रोना तो चाहोगे पर,,,
आंखें तुम्हारी एक आंसूं तक की मोहताज़ होगी।
याद रखना दर्द होगा हर कोने में ज़हन के
फिर भी साथ न तुम्हारी आवाज़ होगी।
हो भी क्यूँ ना,,,
बदले का इन्तेजाम कुछ ऐसा होना चाहिए
न हकीक़त ना कोई ख़्याल एक अलग जहाँ होना चाहिए।
ख्वाब आए आँखों में पर पलके डरे बंद होने से
न हो वो तुम्हारी फिर भी एक एक साँस उसे खोने से डरे
कुछ ऐसा ही तुम्हारे धोखे का अंजाम होना चाहिए।
क्या वफादारी क्या मोहब्बत,,
सब कुछ मिले तुम्हें भी तुम्हारे ही जैसा बस
कुछ ऐसा इश्क़ का इन्त़ेकाम होना चाहिए!!

© Princess cutie