...

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मेरी खुशी
कितनी अच्छी थी मैं बिन्दास मुस्कुराया करती थी
खुद हंसती औरों को भी हंसाया करती थी
फिर ना जाने कब इस दिल को तेरी आदत लग गई
और तुम ही मेरी खुशी का कारण बन गयी
अब न तुमसे कोई बात होती...