...

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मुसाफिर जिंदगी के
डूब रहे उलझनों की दरिया में
हमें बचा ले कोई
लूट रही सारी खुशियां मेरी
इस गम-ए-बाजार से
मुझे निकले कोई
इस बढ़ती उम्र के दौर में
छूट गया है कहीं बचपन मेरा
बहुत याद आ रही है उसकी
हो पता गर ठिकाना
तो मुझे उससे मिला दे कोई
डूब रहे उलझनों की दरिया में
हमें बचा ले कोई
निकल पड़े हैं इस तपती धूप में
जिंदगी के...