...

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कोहरा
यह हल्का हल्का कोहरा यह सर्द हवा का झोंका कुछ याद है तुम्हे

वोह एक शाल में साथ लिपटना वोह आहिस्ता से सिमटना कुछ याद है तुम्हे

वोह गर्म साँसों का एहसास वोह चलना पास पास कुछ याद है तुम्हे

वोह थरथराते होंठ वोह कपकपाते बदन कुछ याद है तुम्हे

वोह गर्म चाय की प्याली और दिल बने थे सवाली कुछ याद है तुम्हे

वोह चाय से उठता धुँआ और खयालो ने आसमां छुआ कुछ याद है तुम्हे

वोह जले बुझे अंगारों पर हाथ सेकना वोह नज़रे उठकर देखना कुछ याद है तुम्हे

सर्द हवाओ में सिर्फ इतना ही याद आ रहा मुझे
इसके अलावा और कुछ याद है तुम्हें
© अlpu