सम्मान...
ज़िंदगी में वो इंसान सम्मान के योग्य है
जो अपने अहम को किनारे रख के
अपनी भूल को स्वीकार करता है,
और उसका पश्चाताप करता है,
दुबारा न दोहराने का निश्चय भी करता है
अपनी भूल अपने गुनाह को...
जो अपने अहम को किनारे रख के
अपनी भूल को स्वीकार करता है,
और उसका पश्चाताप करता है,
दुबारा न दोहराने का निश्चय भी करता है
अपनी भूल अपने गुनाह को...