...

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संघर्षरत जीवन
सहर्ष रहा हैं क्या जीवन
संघर्ष भरी कहानी है
भारत माता का पुत्र हूँ मैं
मेरी यह अमिट निसानी है
इस मिट्टी से उत्पन्न हुआ
धरती माँ ने मुझे पाला है
माँ का मै प्यारा बालक हूँ
इस लिए बहुत मतवाला हूँ
ऐ बन है मेरे कीड़ा क्षेत्र
ये वृक्ष तो मेरे भ्राता है
सबके जीवन के रक्षक है
निस्वार्थ भाव सिखाते हैं
यह सब जीवो को छाया दे
फल देकर भूख मिटाते है
इस मिट्टी से उत्पन्न होकर
धरती को स्वर्ग बनाते हैं
यह पेड़ पौधे यह जीव जन्तु
नदिया और धरा और स्वच्छ वायु
धरा को स्वर्ग बनाते हैं
निज स्वार्थ साधने
अधिकाधिक आवश्यकता के चलते
मानव ही दानव बनता
खुद के लिए ही यह पेड़ पौधे जीवो का भक्षण करता हैं
अब बहुत हुआ सभंलो मानव
प्रकृति है तो यह जीवन है
यह सब है तो यह अमृत है
बर्ना सिर्फ बिष हलाहल है
© Satyam Dubey