पैगाम
मैं देश का बेटा हु ,मैं वतन का रखवाला हूँ मैं उस भारतमाता पर जान न्यौछावर कर रहा हूँ,
जिसने मुझे सींचा है, काबिल बनाया है।
मै भारत माँ का पैगाम लाया हूँ
माँ लिखती है-:
थोड़ी नम हैं आंखे मेरी, . मुझे अपनी बेटियों की चिंता सताती है।
मुझे अपनी उस बेटी की चिख सुनाई देती है,जो दया की भीख उन दरिंदो से मांगती है। (बलात्कार)
मुझे वो बेटी भी याद आती है जो सपनो का बलिदान परिवार के लिए कर देती है।(शादी)
और मेरी वो बेटी भी...
जिसने मुझे सींचा है, काबिल बनाया है।
मै भारत माँ का पैगाम लाया हूँ
माँ लिखती है-:
थोड़ी नम हैं आंखे मेरी, . मुझे अपनी बेटियों की चिंता सताती है।
मुझे अपनी उस बेटी की चिख सुनाई देती है,जो दया की भीख उन दरिंदो से मांगती है। (बलात्कार)
मुझे वो बेटी भी याद आती है जो सपनो का बलिदान परिवार के लिए कर देती है।(शादी)
और मेरी वो बेटी भी...