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पैगाम
मैं देश का बेटा हु ,मैं वतन का रखवाला हूँ मैं उस भारतमाता पर जान न्यौछावर कर रहा हूँ,
जिसने मुझे सींचा है, काबिल बनाया है।
मै भारत माँ का पैगाम लाया हूँ
माँ लिखती है-:
थोड़ी नम हैं आंखे मेरी, . मुझे अपनी बेटियों की चिंता सताती है।
मुझे अपनी उस बेटी की चिख सुनाई देती है,जो दया की भीख उन दरिंदो से मांगती है। (बलात्कार)
मुझे वो बेटी भी याद आती है जो सपनो का बलिदान परिवार के लिए कर देती है।(शादी)
और मेरी वो बेटी भी कितना रोइ थी जब
आग से उसे नहला दिया था।(घरेलु हिंसा)
मुझे अपने पुत्र को खोने का भी दुःख है।
जो बलिदान देकर मेरी रक्षा करता है।
माँ का मुल्य भी क्या खूब चुकाया है।
"जान अपनी उसके कदमों में रखता हैं" (शाहिद)
मुझे अपने उस बेटे के लिए भी अफ़सोस है।
"जो दिवाली में भी होली मना रहा है"
"जो कब जाने अपनी माँ की गोद में सोया है" ।
"जो कब जाने अपनी दुल्हन से मिला है!"
"जो कब जाने अपनी सन्तान के साथ मुस्कुराया है" ।(परिवार से दूर सरहद में)
छूप छूपकर रोता है वो!भारत कि रक्षा करते करते खुद को भूल गया है वो!
मेरे उस बेटे को भी गर्व है खुदपर कहता -
"भारतमाता की रक्षा मैं करता हूँ"
मैं उन वीरों को सत् सत् नमन करती हूँ!
मैं उनका उज्ज्वल भविष्या की कामना करती हूँ!!!!!..🇮🇳🇮🇳