...

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इश्क पुराना लगता है
तेरे बिना
अधूरा सा हर एक अफसाना लगता है।
जो तू न हो तो
बेरंग सा ये मौसमी तराना लगता है |
दिल में दबे है जज़बात कई
नैनों में धुँधले से ख्वाब कई
पर मुश्किल
उन्हें शब्दों में बयां कर पाना लगता है |
हवाओं ने कहा सुन यार मेरे ,
ये इश्क तो बड़ा पुराना लगता है ।।

न जाने कब, कहा, कैसे
हमारी पहली मुलाकात हुई,
लब तो रहे ख़ामोश मगर
अंखियों से दिल की बात हुई ।
छिप-छिपकर तुम्हें देखते हुए
मैने थे अपने दिन वो गुजारे,
हिम्मत न थी कि मैं बात करूं
आके पास तुम्हारे ।
पर एक दिन ऐसा भी आया,
जब किस्मत ने था हमें मिलाया ।
बैठे थे हम एक दूजे रूबरू,
पूरी हुई तुमसे बात करने की मेरी वो आरज़ू ।
यूँ ही शुरू हुए फिर
मीठी सी समझदारी वाली बातों के सिलसिले,
मेरे दिल की सूखी बगिया में मानों
नए-नए से थे गुल खिले ।
शुरू होता सा कोई नया फसाना लगता है,
फिजाओं ने कहा सुन यार मेरे,
ये इश्क तो बड़ा पुराना लगता है।

हर एक लम्हा बड़ा हसीन था,
मौसम भी खुशनुमाँ सा था,
समय के उस पन्ने पर बीता हुआ हर एक दिन
इस जहां की किसी प्यारी दासतान सा था।
न जाने कब वो दिन आया
जब हमारे रास्ते जुदा हो गए,
कभी रहते थे जो संग हमारे
फिर दूर वो हमारे खुदा हो गए।

आज भी डूबा रहता हूँ मैं तेरी यादों में,
पुकारता हूँ नाम तेरा हर रात मैं अपने ख्वाबों में।
बस इतना कहना है तुझसे कि
इंतजार करना मेरा,
क्योंकि पहले मैं तेरे काबिल बनना चाहता हूँ,
अपनी सफलता के जश्न में
मैं तुझको शामिल करना चाहता हूँ।
तेरा आना और जाना
एक सुनहरे ख्वाब सा लगता है,
जख्म ताजा सा है माना
पर ये दर्द पुराना लगता है,
घटाओं ने कहा सुन यार मेरे ,
ये इश्क तो बड़ा पुराना लगता है।
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