...

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स्पर्श
सुनो कभी जान पाओगे तुम
कि तुम्हारे कहे कुछ शब्दों ने
स्पर्श कर लिया हृदय को
कि तुम्हारे निर्मल मन की
वो आवाज़ आज भीगुज़रती हैं
कानों से टराकर...

कि तुम्हारे रुहानी प्रेम की
वो पराकष्ठा आज भी
तर कर जाती है रुह
माना कि जिस्मों का
मिलन मुकद्दर में नहीं
तुम्हारे कहे शब्दों से
तृप्त हुई आत्मा मिलन
को साकार कर...

कि युँही सदियों तक
चलता रहेगा रुहानी प्रेम
का रिश्ता हमारा
जन्मों जन्मों तक
देह से देह के स्पर्श का
चाह लिए
एक न पूर्ण होने वाला
अनंत यात्रा जीवन
मरण का कर,कर..