स्पर्श
सुनो कभी जान पाओगे तुम
कि तुम्हारे कहे कुछ शब्दों ने
स्पर्श कर लिया हृदय को
कि तुम्हारे निर्मल मन की
वो आवाज़ आज भीगुज़रती हैं
कानों से टराकर...
कि तुम्हारे रुहानी प्रेम की
वो पराकष्ठा...
कि तुम्हारे कहे कुछ शब्दों ने
स्पर्श कर लिया हृदय को
कि तुम्हारे निर्मल मन की
वो आवाज़ आज भीगुज़रती हैं
कानों से टराकर...
कि तुम्हारे रुहानी प्रेम की
वो पराकष्ठा...