अस्तित्व
जुदा-जुदा है विचारधारा,
जुदा जुदा है अस्तित्व हमारा!
निजता मेरी भी है,
निजता है तुम्हारी भी।
मैं,मैं हूंँ....तुम, तुम हो!
मैं ज़रा जुदा सी हूंँ...
अपनी सोच से अलहदा सी हूंँ!
न चाहूंँ किसी की निजता पर आधिपत्य,
न चाहूँ खुद पर भी किसी का अतिक्रमण...
चाहूंँ तो...