मुकम्मल
कुछ बातें तेरी जो मुझे चुप कर जाती हैं,
उन्हें सुन के मेरी बस आंखें भर आती हैं,
अपनी हर एक भूल की तुझसे माफी हम मांग लेंगे,
तुझे अपना बनाने के बाद तेरी दुआओं से ज्यादा और क्या लेंगे।
सपनों में भी तुझे ही अपना मानते रहे हम,
इसी ख्वाब...
उन्हें सुन के मेरी बस आंखें भर आती हैं,
अपनी हर एक भूल की तुझसे माफी हम मांग लेंगे,
तुझे अपना बनाने के बाद तेरी दुआओं से ज्यादा और क्या लेंगे।
सपनों में भी तुझे ही अपना मानते रहे हम,
इसी ख्वाब...