...

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कॉमरेड
लेटे हुए बिस्तर पे,
गौर फरमा रहाथा अपनी सोचने के स्तर पे,
अभी अटकी है स्तन में,
आगे जा नही; पा रही तन से।

बैठे बैठे थक जाता,
थक के सो जाता,
सोते सोते थक जाता,
थक के बैठ जाता।

न दुश्मनी; ना दुश्मन,
फिर भी डर लगता हर क्षण,
न दोस्ती; ना दोस्त,
फिर भी जी रहा हु जिंदगी मस्त।

बारिश न मुझे भाती,
और न गर्मी सताती,
आता पसीना थंड मे मुझको,
पर कुछ फर्क न पड़ता मेरे लंडको।

मोबाइल तो है; यूही बदनाम,
कर रहा वो; उसे बताया गया काम,
जब खुदपरही नहीं है लगाम,
तो झाट मिलेगा अच्छा परिणाम।

जिंदगी में सब हिलराहा,
बस मैं ही नही खिलराहा,
शाम को होता मेरा सवेरा,
अंधेरे से भरा मेरा कमरा।

पहिले सपने देख के सोता,
अब सिर्फ सपने में सोता,
पहिले सोचाथा बदलूंगा ये देश,
अब मेरा खुदका बदल गया है भेस,
पहिले सोचा लूंगा जिंदगी के मजे,
अब जिंदगी में सब ले रहे मेरे मजे,
पहिले लगता सारे रिश्तेदार अपने,
अब पता चला में देख रहा था झूठे सपने,
पहिले भाई–बहन मुझसे बोलने को तरसते,
अब मुझपे तरस आकेभी नही बोलते।

मुझे टालने के लिए करते बहाने,
और मेरे सामने बनते सयाने,
मगर याद रखना,
तुम कितना भी करो मुझे नेगलेक्ट; या ना करो मेरे सामने मेरी प्रशंसा,
खोलके मरूंगा तुम्हारी लिंग का ना किए भेद–भाव; न छोढुंगा तुम्हारे लिए कोई भी आशंका,
चाहे की हो तुमने बीबीए, इंजीनियरिंग, एलएलबी, एमबीए ,
गांड़ का गुड़गांव करके छोड़ेंगे तुम्हे; चूतिए।

जिंदगी एक क्रिकेट का खेल,
जो खेलते–खेलते निकल गया तेल,
ये सिर्फ एक परीक्षा जिसमे मैं हो रहा हु बार–बार फेल,
लेकिन मैं भी अड़ा हू क्रीज पे; मारूंगा छक्का तो खड़े–खड़े जस्ट लाइक क्रिस गेल।

© Rohit Gotmare