या फ़िर तो तुम या फ़िर कोई नहीं
पता नहीं वो हक़ में है किसके
नसीब है किसका उससे जुड़ा हुआ
लेकिन हम तुम्हें पाने का
कोई मौका यूँ हाथ से जाने ना देंगे।।
उससे तो है कईंयों को
पर उसको है किससे पता नहीं
पर ग़र है अभी भी मिलती क़िस्मत से
मोहलत कोई उसे पा जाने की
तो यकीनन उसे तो हम यूँ ख़ुद को गवाने ना देंगे।।
हां है बेइंतहा इश्क़ तुमसे मगर
है ग़र मोहब्ब़त तुम्हें भी वो शिद्दत वाली किसी और से
तो...