...

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या फ़िर तो तुम या फ़िर कोई नहीं

पता नहीं वो हक़ में है किसके
नसीब है किसका उससे जुड़ा हुआ
लेकिन हम तुम्हें पाने का
कोई मौका यूँ हाथ से जाने ना देंगे।।


उससे तो है कईंयों को
पर उसको है किससे पता नहीं
पर ग़र है अभी भी मिलती क़िस्मत से
मोहलत कोई उसे पा जाने की
तो यकीनन उसे तो हम यूँ ख़ुद को गवाने ना देंगे।।


हां है बेइंतहा इश्क़ तुमसे मगर
है ग़र मोहब्ब़त तुम्हें भी वो शिद्दत वाली किसी और से
तो करो यकीं ये कि हम अपने हक में फ़िर
किसी और की दुआ आने ना देंगें।।


या तो तुम या फ़िर तो होगा कोई नहीं
हम अपनी मोहब्ब़त यूंँ ही बस
हर किसी को तो आजमाने ना देंगे।।


या तो होंगे तो बिल्कुल तुम्हारे
या ग़र है तुम्हारे नज़रों में छाया कोई
तो अपनी झलक भी तुम तक आने ना देंगे।।


ख्य़ाल हो चाहे हो इश्क़ की दस्तक
सम्भाल कर रखेंगे सदियों ही
तुम मिलो या होकर रह जाओ
सिर्फ़ दुआओं में शामिल
मोहब्ब़त है ये मेरी
मेरी इल्तिज़ा मेरी क़िस्मत।
यूं इत्र के जैसे उड़ जाने ना देंगे।।
या तो तुम या फिर कोई नहीं
यूं तो मोहब्ब़त अपनी हर किसी को आजमाने ना देंगे।।


© Princess cutie