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Why I write
तो ले आज मैं तुझे अपनी कहानी सुनाता हूं,
दर्द जब सह नहीं पाता सिर्फ तब मैं कलम उठाता हूं,
सजाता हूं रोज़ अपने हाथों से अर्थी अपनी,
आईने को कागज़ और लहू को स्याही बनाता हूं।
और ताज़्जुब होता है कि मुझमें अब तक सांस कैसे है,
आज भी लाल ही दिखता है जब भी अपना खून बहाता हूं।
© no_one
दर्द जब सह नहीं पाता सिर्फ तब मैं कलम उठाता हूं,
सजाता हूं रोज़ अपने हाथों से अर्थी अपनी,
आईने को कागज़ और लहू को स्याही बनाता हूं।
और ताज़्जुब होता है कि मुझमें अब तक सांस कैसे है,
आज भी लाल ही दिखता है जब भी अपना खून बहाता हूं।
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